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क्या हुआ जब भगवान ने दहेज का सामान वैद्य जी को दिया... Hindi story

April 26, 2020
शहर में एक वैधजी हुआ करते थे, जिनका मकान  एक पुरानी सी इमारत में था। वैधजी रोज  सुबह दुकान जाने से पहले पत्नी को कहते कि जो कुछ आज के दिन के लिए तुम्हें आवश्यकता है एक चिठ्ठी में लिख कर दे। पत्नी लिखकर दे देती । आप दुकान पर आकर पहले वह चिठ्ठी खोलते। पत्नी ने जो बातें लिखी होती। उनके भाव देखते , फिर उनका हिसाब करते। फिर परमात्मा से प्रार्थना करते कि हे भगवान ! मैं केवल तेरे ही हुक्म के अनुसार में तेरी बंदगी  छोड़कर यहाँ दुनियादारी के चक्कर में आ बैठा हूँ। ज्योंही तू मेरी आज की जरूरी पैसो की व्यवस्था कर देगा।उसी समय यहां से उठ जाऊँगा और फिर यही होता। कभी सुबह साढ़े नौ, कभी दस बजे वैधजी रोगियों की समाप्ति कर वापस अपने घर चले जाते।



एक दिन वैधजी ने दुकान खोली। रकम का  हिसाब के लिए चिठ्ठी खोली तो वह चिठ्ठी को देखते ही रह गए। एक बार तो उनका मन भटक गया। उन्हें अपनी आंखों के सामने तारे चमकते हुए नजर आ गए लेकिन जल्द ही उन्होंने अपने तंत्रिकाओं पर काबू पा लिया। आटे दाल चावल आदि के बाद पत्नी ने लिखा था, बेटी के दहेज का सामान। कुछ देर सोचते रहे फिर बाकी चीजों की कीमत लिखने के बाद दहेज के सामने लिखा '' यह काम परमात्मा का हे, परमात्मा जाने।''
एक दो मरीज आए थे। उन्हें वैधजी दवाई दे रहे थे। इसी दौरान एक बड़ी सी कार उनके दुकान के सामने आकर रुकी। वैधजी ने कार या साहब को कोई खास तवज्जो नहीं दी क्योंकि कई कारों वाले उनके पास आते रहते थे।
दोनों मरीज दवाई लेकर चले गए। वह सूटेडबूटेड साहब कार से बाहर निकले और नमस्ते करके बेंच पर बैठ गए। वैधजी ने कहा कि अगर आप अपने लिए दवा लेनी है तो उधर स्टूल पर आ ताकि आपकी नाड़ी देख लूँ और अगर किसी रोगी की दवाई लेकर जाना है तो बीमारी की स्थिति का वर्णन  करे। वह साहब कहने लगे वैधजी मुझे लगता है आपने मुझे पहचाना नहीं। लेकिन आप मुझे पहचान भी कैसे सकते हैं? क्योंकि मैं 15-16 साल बाद आप की दुकान पे आया हूँ
आप को पिछली मुलाकात सुनाता हूँ फिर आपको सारी बात याद आ जाएगी। जब मैं पहली बार यहां आया था तो में खुद नहीं आया था ईश्वर मुझे आप के पास ले आया था क्योंकि ईश्वर ने मुझ पर कृपा की थी और वह मेरा घर आबाद करना चाहता था। हुआ इस तरह था कि दिल्ली से सुंदरनगर अपनी कार में अपने पैतृक घर जा रहा था। सही दुकान के सामने हमारी कार पंक्चर हो गई। ड्राईवर कार का पहिया उतार कर पंक्चर कराने चला गया। आपने देखा कि गर्मी में में कार के पास खड़ा हूँ। आप मेरे पास आए और दुकान की ओर इशारा किया और कहा कि इधर आकर कुर्सी पर बैठ जाएँ। अंधा क्या चाहे दो आँखें। मैं शुक्रिया अदा किया और कुर्सी पर आकर बैठ गया।
ड्राइवर ने कुछ ज्यादा ही देर लगा दी थी। एक छोटी सी बच्ची भी यहाँ अपनी मेज के पास खड़ी थी और बार बार कह रही थी '' चलें नां, मुझे भूख लगी है। आप इसे कह रहे थे बेटी थोड़ा सब्र करो चलते हैं।
मैं यह सोच कर कि इतनी देर आप के पास बैठा हूँ। मुझे कोई दवाई खरीद लेनी चाहिए ताकि आप मेरे बैठने का भार महसूस न करें। मैंने कहा वैद्यजी साहब में 5,6 साल से इंग्लैंड में हूँ। इंग्लैंड जाने से पहले मेरी शादी हो गई थी लेकिन अब तक बच्चों के सुख से वंचित हूँ। यहां भी इलाज किया और वहाँ इंग्लैंड में भी लेकिन किस्मत में निराशा के सिवा और कुछ नहीं देखा। आपने कहा मेरे भाई! माफ करो और अपने भगवान से निराश न हो  । याद रखें उसके खजाने में किसी चीज़ की कोई कमी नहीं है। औलाद, माल व इज्जत और ग़मी खुशी, जीवन मृत्यु सब कुछ उसी के हाथ में है। किसी वैधजी या डॉक्टर के हाथ नहीं होती और न ही किसी दवा में  होती है। अगर होनी है तो भगवान के हुक्म से होनी है। औलाद देनी है तो उसी ने देनी है। मुझे याद है आप बातें करते जा रहे और साथ पुड़ीया भी बना रहे थे। सभी दवा आपने 2 भागों में विभाजित कर लिफाफा में डाली फिर मुझसे पूछा कि तुम्हारा नाम क्या है? मैंने बताया कि मेरा नाम कृष्णलाल है। आप ने एक लिफाफा पर मेरा और दूसरे पर मेरी पत्नी का नाम लिखा। फिर दोनों लिफाफे एक बड़े लिफाफा रख दवा का उपयोग करने का तरीका बताया। मैंने बेदिली से दवाई ले ली क्योंकि मैं सिर्फ कुछ पैसे आप को देना चाहता था। लेकिन जब दवा लेने के बाद मैंने पूछा कितने पैसे? आपने कहा बस ठीक है। मैं जोर डाला, तो आपने कहा कि आज का खाता बंद हो गया है।
मैंने कहा मुझे आपकी बात समझ नहीं आई। इसी दौरान वहां एक और आदमी आया उसने मुझे बताया कि खाता बंद होने का मतलब यह है कि आज के घरेलू खर्च के लिए जितनी रकम वैधजी ने भगवान से मांगी थी वह गुरु ने दे दी है। अधिक पैसे वे नहीं ले सकते। कुछ हैरान हुआ और कुछ दिल में शर्मिंदा हुआ कि मेरे कितने घटिया विचार था और यह सरल वैधजी कितने महान व्यक्ति है। मैं जब घर जा कर बीवी को औषधि दिखाई और सारी बात बताई तो उसके मुँह से निकला वो इंसान नहीं कोई देवता है और उसकी दी हुई दवा ही हमारे मन की मुराद पूरी करने का कारण बनेंगी। वैधजी आज मेरे घर में तीन तीन फूल खेल रहे हैं।
हम जीवन साथी हर समय आपके लिए प्रार्थना करते रहते हैं। जब भी इंडिया में छुट्टी में आया। कार उधर रोकी लेकिन दुकान बंद पाया। कल दोपहर भी आया था दुकानबंद थी। एक आदमी पास ही खड़ा हुआ था। उसने कहा कि अगर आप वैधजी से मिलना है तो सुबह 9 बजे अवश्य पहुंच जाएं वरना उनके मिलने की कोई गारंटी नहीं। इसलिए आज सवेरे सवेरे आपके पास आया हूँ।

वैधजी हमारा सारा परिवार इंग्लैंड सेटल हो चुका है। केवल हमारे एक विधवा बहन अपनी बेटी के साथ इंडिया में रहती है। हमारी भांजी की शादी इस महीने की 21 तारीख को होनी थी। इस भांजी की शादी का सारा खर्च मैंने अपने ज़िम्में लिया था। 10 दिन पहले इसी कार में उसे मैं दिल्ली अपने रिश्तेदारों के पास भेजा कि शादी के लिए जो चीज़ चाहे खरीद ले। उसे दिल्ली जाते ही बुखार हो गया लेकिन उसने किसी को नहीं बताया। बुखार की गोलियाँ डिस्प्रिन आदि खाती और बाजारों में फिरती रही। बाजार में फिरते फिरते अचानक बेहोश होकर गिरी। वहां से उसे अस्पताल ले गए। वहां जाकर पता चला कि इसे 106 डिग्री बुखार है और यह गर्दन तोड़ बुखार है। वह कोमा की हालत ही में इस दुनिया से चली गयी ।
इसके मरते ही न जाने क्यों मुझे और मेरी पत्नी को आपकी बेटी का ख्याल आया। हमने और हमारे पूरे परिवार ने फैसला किया है कि हम अपनी भांजी के सभी दहेज का साज़-सामान आपके यहां पहुंचा देंगे। शादी जल्दी हे तो व्यवस्था खुद करेंगे और अगर अभी कुछ देर है तो सभी खर्चों के लिए पैसा आप को नकदी पहुंचा देंगे। आप को ना नहीं करनी। अपना घर दिखा दें ताकि माल ट्रक वहां पहुंचाया जा सके।

वैधजी हैरान-परेशान हुए  बोले '' कृष्णलाल जी आप जो कुछ कह रहे हैं मुझे समझ नहीं आ रहा, मेरा इतना मन नहीं है। मैं तो आज सुबह जब पत्नी के हाथ की लिखी हुई चिठ्ठी यहाँ आकर खोलकर देखा तो मिर्च मसाला के बाद जब मैंने ये शब्द पढ़े '' बेटी के दहेज का सामान '' तो तुम्हें पता है मैंने क्या लिखा। आप खुद यह चिठ्ठी जरा देखें।   वहां उपस्थित सभी यह देखकर हैरान रह गए कि '' बेटी के दहेज '' के सामने लिखा हुआ था '' यह काम परमात्मा का हे, परमात्मा जाने।''
कृष्ण जी, यकीन करो आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ था कि पत्नी ने चिठ्ठी पर बात लिखी हो और भगवान ने उसका उसी दिन व्यवस्था न कर दिया हो।
वाह भगवान वाह। तू  महान है तू मेहरबान है। आपकी भांजी की मौत का दुःख है लेकिन ईश्वर के रंगों से हैरान हूँ कि वे कैसे अपने रंग दिखाता है।
वैधजी ने कहा जब से होश संभाला एक ही पाठ पढ़ा कि सुबह परमात्मा का आभार  करो शाम को अच्छे दिन गुजरने का आभार करो  , खाने समय उसका  आभार करो ,आभार मेरे मालिक तेरा बहुत बहुत आभार।
क्या हुआ जब भगवान ने दहेज का सामान वैद्य जी को दिया... Hindi story  क्या हुआ जब भगवान ने दहेज का सामान वैद्य जी को दिया... Hindi story Reviewed by Shyam Dubey on April 26, 2020 Rating: 5

बादल और राजा की कहानी..... Hindi Story

April 13, 2020

चुनैतियों पर काबू पाने की सीख देती प्रेरणादायक कहानी



बादल अरबी नस्ल का एक शानदार घोड़ा था। वह अभी 1 साल का ही था और रोज अपने पिता – “राजा” के साथ ट्रैक पर जाता था। राजा

घोड़ों की बाधा दौड़ का चैंपियन था और कई सालों से वह अपने मालिक को सर्वश्रेष्ठ घुड़सवार का खिताब दिला रहा था।

बादल भी राजा की तरह बनना चाहता था…लेकिन इतनी ऊँची-ऊँची और कठिन बाधाओं को देखकर उसका मन छोटा हो जाता और वह सोचने लगता कि वह कभी अपने पिता की तरह नहीं बन पायेगा।

एक दिन जब राजा ने बादल को ट्रैक के किनारे उदास खड़े देखा तो बोला, ” क्या हुआ बेटा तुम इस तरह उदास क्यों खड़े हो?”

“कुछ नहीं पिताजी…आज मैंने आपकी तरह उस पहली बाधा को कूदने का प्रयास किया लेकिन मैं मुंह के बल गिर पड़ा…मैं कभी आपकी तरह काबिल नहीं बन पाऊंगा…

राजा बादल की बात समझ गया। अगले दिन सुबह-सुबह वह बादल को लेकर ट्रैक पर आया और एक लकड़ी के लट्ठ की तरफ इशारा करते हुए बोला- ” चलो बादल, ज़रा उसे लट्ठ के ऊपर से कूद कर तो दिखाओ।”

बादला हंसते हुए बोला, “क्या पिताजी, वो तो ज़मीन पे पड़ा है…उसे कूदने में क्या रखा है…मैं तो उन बाधाओं को कूदना चाहता हूँ जिन्हें आप कूदते हैं।”

“मैं जैसा कहता हूँ करो।”, राजा ने लगभग डपटते हुए कहा।

अगले ही क्षण बादल लकड़ी के लट्ठ की और दौड़ा और उसे कूद कर पार कर गया

शाबाश! ऐसे ही बार-बार कूद कर दिखाओ!”, राजा उसका उत्साह बढाता रहा।

अगले दिन बादल उत्साहित था कि शायद आज उसे बड़ी बाधाओं को कूदने का मौका मिले पर राजा ने फिर उसी लट्ठ को कूदने का निर्देश दिया।

करीब 1 हफ्ते ऐसे ही चलता रहा फिर उसके बाद राजा ने बादल से थोड़े और बड़े लट्ठ कूदने की प्रैक्टिस कराई।

इस तरह हर हफ्ते थोड़ा-थोड़ा कर के बादल के कूदने की क्षमता बढती गयी और एक दिन वो भी आ गया जब राजा उसे ट्रैक पर ले गया।

महीनो बाद आज एक बार फिर बादल उसी बाधा के सामने खड़ा था जिस पर पिछली बार वह मुंह के बल गिर पड़ा था… बादल ने दौड़ना शुरू किया… उसके टापों की आवाज़ साफ़ सुनी जा सकती थी… 1…2…3….जम्प….और बादल बाधा के उस पार था।

आज बादल की ख़ुशी का ठिकाना न था…आज उसे अन्दर से विश्वास हो गया कि एक दिन वो भी अपने पिता की तरह चैंपियन घोड़ा बन सकता है और इस विश्वास के बलबूते आगे चल कर बादल भी एक चैंपियन घोड़ा बना।

दोस्तों, बहुत से लोग सिर्फ इसलिए goals achieve नहीं कर पाते क्योंकि वो एक बड़े challenge या obstacle को छोटे-छोटे challenges में divide नहीं कर पाते। इसलिए अगर आप भी अपनी life में एक champion बनना चाहते हैं…एक बड़ा लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं तो systematically उसे पाने के लिए आगे बढिए… पहले छोटी-छोटी बाधाओं को पार करिए और ultimately उस बड़े goal को achieve कर अपना जीवन सफल बनाइये।

Moral of the story is: जल्दी हार मत मानिए, बल्कि छोटे से शुरू करिए और प्रयास जारी रखिये…इस तरह आप उस लक्ष्य को भी प्राप्त कर पायेंगे जो आज असंभव लगता है




बादल और राजा की कहानी..... Hindi Story बादल और राजा की कहानी..... Hindi Story Reviewed by Shyam Dubey on April 13, 2020 Rating: 5

उस दिन माँ के साथ जब मामूली–सी बात पर उसका झगड़ा हो गया Story

April 10, 2020
उस दिन माँ के साथ जब मामूली–सी बात पर उसका झगड़ा हो गया तो वह बिना नाश्ता किए ही ड्यूटी पर जाने के लिए बस–अड्डे की ओर चल पड़ा। घर से निकलते वक्त माँ के यह बोल उसे खंजर की तरह चुभे,“ तेरी आस में तो मैने तेरे अड़ियल और नशेबाज बाप के साथ अपनी सारी उम्र गुजार दी, कि चलो बेटा बना रहे, और दुष्ट तू
भी…।”



माँ के शेष बोल आँसूओं में भीग कर रह गए। वह जोर–जोर से
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रोने लगी। घर से बस–अड्डे तक का सफर तय करते हुए उसे बार–बार यही ख्याल आता रहा कि वह माँ के कहे बोल नहीं बल्कि माँ द्वारा सृजित एक–एक अरमान को पाँवों तले रौंदता चला जा रहा है।
पर वह चुपचाप चलता रहा, चलता रहा। बस–अड्डे पर पहुँचकर जब वह अपनी बस की ओर बढ़ा तो देखा, माँ हाथ में रोटी वाला डिब्बा लिए उसकी बस के आगे खड़ी थी। बेटे को देखते ही माँ ने रोटी वाला डिब्बा उसकी ओर बढ़ा दिया। माँ के खामोश होंठ जैसे आँखों पर लग गए हों। एकाएक अनेक आँसू माँ की पलकों का साथ छोड़ गए।
माँ को ऐसे रोते देख कर उससे एक कदम भी आगे
नहीं बढ़ाया गया और अगले ही पल वह माँ के चरणों में था।
तेरे जैसा कोई नही माँ....


मां सलामत है तो दुनिया में ऐसी कोई कयामत नहीं जो तेरा बाल भी बांका कर सके मां को खुश रखो प्यारो ऊपरवाला आपको सदा खुश रखेगा


उस दिन माँ के साथ जब मामूली–सी बात पर उसका झगड़ा हो गया Story उस दिन माँ के साथ जब मामूली–सी बात पर  उसका झगड़ा हो गया Story Reviewed by Shyam Dubey on April 10, 2020 Rating: 5

बेटे और एक वृद्ध पिता का रात्रि का भोजन प्रेरणादायक कहानी.... Myjokesadda

April 10, 2020
एक बेटा अपने वृद्ध पिता को रात्रि भोज के लिए एक अच्छे रेस्टॉरेंट में लेकर
गया।
खाने के दौरान वृद्ध पिता ने कई बार भोजन अपने कपड़ों पर गिराया।
रेस्टॉरेंट में बैठे दूसरे खाना खा रहे लोग वृद्ध को घृणा की नजरों से देख रहे थे
लेकिन वृद्ध का बेटा शांत था।




खाने के बाद बिना किसी शर्म के बेटा, वृद्ध को वॉश रूम ले गया। उनके
कपड़े साफ़ किये, उनका चेहरा साफ़ किया, उनके बालों में कंघी की,चश्मा
पहनाया और फिर बाहर लाया।
सभी लोग खामोशी से उन्हें ही देख रहे थे।बेटे ने बिल पे किया और वृद्ध के
साथ
बाहर जाने लगा।
तभी डिनर कर रहे एक अन्य वृद्ध ने बेटे को आवाज दी और उससे पूछा ” क्या

तुम्हे नहीं लगता कि यहाँ
अपने पीछे तुम कुछ छोड़ कर जा रहे हो ?? ”
बेटे ने जवाब दिया” नहीं सर, मैं कुछ भी छोड़ कर
नहीं जा रहा। ”
वृद्ध ने कहा ” बेटे, तुम यहाँ
छोड़ कर जा रहे हो,
प्रत्येक पुत्र के लिए एक शिक्षा (सबक) और प्रत्येक पिता के लिए उम्मीद
(आशा)। ”
आमतौर पर हम लोग अपने बुजुर्ग माता पिता को अपने साथ बाहर ले जाना
पसंद नहीँ करते
और कहते हैं क्या करोगे आप से चला तो जाता
नहीं ठीक से खाया भी नहीं जाता आप तो घर पर ही रहो वही अच्छा
होगा.
क्या आप भूल गये जब आप छोटे थे और आप के माता पिता आप को अपनी
गोद मे उठा कर ले जाया
करते थे,
आप जब ठीक से खा नही
पाते थे तो माँ आपको अपने हाथ से खाना खिलाती थी और खाना गिर
जाने पर डाँट नही प्यार जताती थी
फिर वही माँ बाप बुढापे मे बोझ क्यो लगने लगते हैं???
माँ बाप भगवान का रूप होते है उनकी सेवा कीजिये और प्यार दीजिये…
क्योंकि एक दिन आप भी बूढ़े होगें।
बेटे और एक वृद्ध पिता का रात्रि का भोजन प्रेरणादायक कहानी.... Myjokesadda बेटे और एक वृद्ध पिता का रात्रि का भोजन प्रेरणादायक कहानी.... Myjokesadda Reviewed by Shyam Dubey on April 10, 2020 Rating: 5

मां और बेटे की प्रेरणादायक कहानी जो आपको भावुक कर देगी Myjokesadda

April 05, 2020
1.     प्रेरणास्पद कहानी...
अपनी बुढ़ी सास से बहु ने कहा -:
"माँ जी, आप अपना खाना बना लेना, मुझे और इन्हें आज एक पार्टी में जाना है ...!!"
बुढ़ी माँ ने कहा -: "बेटी मुझे गैस चुल्हा जलाना नहीं आता ...!!"
तो बेटे ने कहा -: "माँ, घर से थोड़ी दूर जो काली माता का मंदिर है उसमें आज भंडारा है , तुम वहाँ चली जाओ खाना बनाना भी नहीं पड़ेगा .!!!"
माँ चुपचाप अपनी चप्पल पहन कर मंदिर की ओर हो चली.....
यह पुरा वाक्या 8 साल का बेटा रोहन सुन रहा था |



पार्टी में जाते वक्त रास्ते में रोहन ने अपने पापा से कहा -:
"पापा, मैं जब बहुत बड़ा आदमी बन जाऊंगा ना तब मैं भी अपना घर किसी मंदिर के पास
ही बनाऊंगा ....!!!
माँ ने उत्सुकतावश पुछा -: क्यों बेटा ?
रोहन ने कहा -: क्योंकि माँ, जब मुझे भी किसी दिन ऐसी ही किसी पार्टी में जाना होगा
तब तुम भी तो किसी मंदिर में भंडारे में खाना खाने जाओगी ना और मैं नहीं चाहता कि तुम्हें कहीं दूर के मंदिर में जाना पड़े....
रोहन का जवाब सुनकर उस बेटे और बहु का सिर शर्म से नीचे झुक गया जो अपनी माँ को मंदिर में छोड़ आए थे....




2.    पिता के मरने के बाद बेटा अपनी माँ को "ओल्ड ऐज"
होम छोड़ के आया...
कुछ सालो बाद ओल्ड ऐज होम से फ़ोन आया..
तुम्हारी माँ मरणासन है जल्दी आ जाओ !
बेटा माँ से मिलके भावुक हो के बोला ":-"
माँ.. बता मै क्या करू तेरे लिए".
माँ ने कहा बेटा :- "इस कमरे में एक पंखा लगवा दे" !

बेटे ने कहा:- "इतने साल तो तुम बिना पंखे के रही अब जब मरने वाली हो तो पंखा लगाने के लिए क्यों कह रही हो" !
🌼
माँ ने कहा:- "बेटा मैंने तो किसी तरह गुजारा कर लिया लेकिन.........
जब तेरा बेटा तुझे इस कमरे में भेजेगा तो तू बिना पंखे के रह नही पायेगा...!!

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मां और बेटे की प्रेरणादायक कहानी जो आपको भावुक कर देगी Myjokesadda  मां और बेटे की प्रेरणादायक कहानी जो आपको भावुक कर देगी  Myjokesadda Reviewed by Shyam Dubey on April 05, 2020 Rating: 5

एक दुखियारी बूढ़ी मां को एयरपोर्ट पर कैसे छोड़ गया😭😭😭... रोना आ जाएगा

April 04, 2020
हैलो माँ ...
में रवि बोल रहा हूँ....,कैसी हो माँ....?
मैं.... मैं…ठीक हूँ बेटे.....,ये बताओ तुम और बहू
दोनों कैसे हो? हम दोनों ठीक है माँ...आपकी बहुत याद आती है…,...अच्छा सुनो माँ,में अगले महीने
इंडिया आ रहा हूँ..... तुम्हें लेने। क्या...? हाँ माँ...., अब हम सब साथ ही रहेंगे....,नीतू कह रही थी माज़ी को अमेरिका ले आओ वहाँ अकेली बहुत परेशान हो रही होंगी।







हैलो ....सुन रही हो माँ...?“हाँ...हाँ बेटे...“,बूढ़ी आंखो से खुशी की अश्रुधारा बह निकली,बेटे और बहू का प्यार नस नस में दौड़ने लगा।
जीवन के सत्तर साल गुजार चुकी सावित्री ने जल्दी से अपने पल्लू से आँसू पोंछे और बेटे से बात करने लगी।



पूरे दो साल बाद बेटा घर आ रहा था। बूढ़ी सावित्री ने मोहल्ले भरमे दौड़ दौड़ कर ये खबर सबको सुना दी। सभी खुश थे की चलो बुढ़ापा चैनसे बेटे और बहू के साथ गुजर जाएगा। रवि अकेला आया था, उसने कहा की माँ हमे जल्दी ही वापिस जाना है इसलिए जो भी रुपया पैसा किसी से लेना है वो लेकर रख लों और तब तक मे किसी प्रोपेर्टी डीलर से मकान की बात करता हूँ। “मकान...?”,माँ ने पूछा। हाँ माँ,अब ये मकान बेचना पड़ेगा वरना कौन इसकी देखभाल करेगा। हम सब तो अब अमेरिका मे ही रहेंगे। बूढ़ी आंखो ने मकान के कोने कोने को ऐसे निहारा जैसे किसी अबोध बच्चे को सहला रही हो।




आनन फानन और औने-पौने दाम मे रवि ने
मकान बेच 
दिया। सावित्री देवी ने वो जरूरी सामान
समेटा जिस से उनको बहुत ज्यादा लगाव था। रवि टैक्सी मँगवा चुका था। एयरपोर्ट पहुँचकर रवि ने
कहा,”माँ तुम यहाँ बैठो मे अंदर जाकर सामान
की जांच और बोर्डिंग और विजा का काम निपटा लेता हूँ।
““ठीक है बेटे। “,सावित्री देवी वही पास की बेंच
पर बैठ गई। काफी समय बीत चुका था। बाहर
बैठी सावित्री देवी बार बार उस दरवाजे की तरफ
देख रही थी जिसमे रवि गया था लेकिन अभी तक
बाहर नहीं आया।‘शायद अंदर बहुत भीड़ होगी... सोचकर बूढ़ी आंखे फिर से टकटकी लगाए देखने लगती। अंधेरा हो चुका था। 




एयरपोर्ट के बाहर गहमागहमी कम हो चुकी थी। “माजी..., किस से मिलना है?”, एक कर्मचारी ने वृद्धा से पूछा । “मेरा बेटा अंदर गया था..... टिकिट लेने, वो मुझे अमेरिका लेकर जा रहा है ....”, सावित्री देबी ने घबराकर कहा। “लेकिन अंदर तो कोई पैसेंजर नहीं है, अमेरिका जाने वाली फ्लाइट तो दोपहर मे ही चली गई। क्या नाम था आपके बेटे का?  कर्मचारी ने सवाल किया। “र....रवि....”, सावित्री के चेहरे पे चिंता की लकीरें उभर आई। कर्मचारी अंदर गया और कुछ देर बादबाहर आकर बोला, “माजी.... आपका बेटा रवि तो अमेरिका जाने वाली फ्लाइट से कब का जा चुका...। ”“क्या....”,वृद ्धा की आंखो से गरम आँसुओं का सैलाब फुट पड़ा। बूढ़ी माँ का रोम रोम कांप उठा। किसी तरह वापिस घर पहुंची जो अब बिक चुका था।



 रात में घर के बाहर चबूतरे पर ही सो गई। सुबह हुई तो दयालु मकान
मालिक ने एक कमरा रहने को दे दिया। पति की पेंशन से घर का किराया और खाने का काम चलने लगा। समय गुजरने लगा। एक दिन मकान मालिक ने वृद्धा से पूछा। “माजी... क्यों नही आप अपने
किसी रिश्तेदार के यहाँ चली जाए, अब आपकी उम्र भी बहुत हो गई,अकेली कब तक रह पाएँगी। ““हाँ, चली तो जाऊँ, लेकिन कल को मेरा बेटा आया तो..?,यहाँ फिर कौन उसका ख्याल रखेगा?“😭😭😭😭😭😭  


मां तो मां होती है मां को कभी दुखी मत करना😭




दोस्तों ऐसा कभी मत करना मां को दुखी करने वाला व्यक्ति संसार में कभी सुख से नहीं रह सकता है मां बाप तो भगवान के रूप होते हैं उन्हें हमेशा खुश रखना

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एक दुखियारी बूढ़ी मां को एयरपोर्ट पर कैसे छोड़ गया😭😭😭... रोना आ जाएगा एक दुखियारी बूढ़ी मां को एयरपोर्ट पर कैसे छोड़ गया😭😭😭...   रोना आ जाएगा Reviewed by Shyam Dubey on April 04, 2020 Rating: 5

जब लड़के ने सोचा कि मां-बाप को छोड़ दूं..... Myjokesadda

April 04, 2020
बड़े गुस्से से मैं घर से चला आया ....
इतना गुस्सा था की गलती से पापा के जूते पहने गए ....
मैं आज बस घर छोड़ दूंगा ....
और तभी लौटूंगा जब बहुत बड़ा आदमी बन जाऊंगा ...
जब मोटर साइकिल नहीं दिलवा सकते थे ,
तो क्यूँ इंजीनियर बनाने के सपने देखतें
है .....
आज मैं पापा का पर्स भी उठा लाया था ....
जिसे किसी को हाथ तक न लगाने देते थे ...
मुझे पता है जरुर इस पर्स मैं जरुर पैसो के हिसाब की डायरी होगी ....
पता तो चले कितना माल छुपाया है .....
माँ से भी ...


इसीलिए हाथ नहीं लगाने देते किसी को..
जैसे ही मैं कच्चे रास्ते से सड़क पर आया ...
मुझे लगा जूतों में कुछ चुभ रहा है ....
मैंने जूता निकाल कर देखा .....
मेरी एडी से थोडा सा खून रिस आया था ...
जूते की कोई कील निकली हुयी थी दर्द तो हुआ पर
गुस्सा बहुत था .....
और मुझे जाना ही था ...
घर छोड़कर ...

जैसे ही कुछ दूर चला ....
मुझे पांवो में गिला गिला लगा.....
सड़क पर पानी बिखरा पड़ा था ....
पाँव उठा के देखा तो जूते के तला टुटा था .....
जैसे तेसे लंगडाकर बस स्टॉप पहुंचा .......
पता चला एक घंटे तक कोई बस नहीं थी .....
मैंने सोचा ......
क्यों न पर्स की तलाशी ली जाये ....
मैंने पर्स खोला ....
एक पर्ची दिखाई दी ......
लिखा था
लैपटॉप के लिए 40 हजार उधार लिए
पर लैपटॉप तो घर मैं मेरे पास है ?
दूसरा एक मुड़ा हुआ पन्ना देखा ........
उसमे उनके ऑफिस की किसी हॉबी डे
का लिखा था उन्होंने हॉबी लिखी अच्छे जूते
पहनना ......ओह....अच्छे जुते पहनना ???
पर उनके जुते तो ...........!!!!
माँ पिछले चार महीने से हर पहली को कहती है नए जुते ले लो ...
और वे हर बार कहते .....
अभी तो 6 महीने जूते और चलेंगे ..
मैं अब समझा कितने चलेंगे
......तीसरी पर्ची ..........
पुराना स्कूटर दीजिये एक्सचेंज में नयी मोटर साइकिल ले जाइये ...
पढ़ते ही दिमाग घूम गया.....
पापा का स्कूटर .............
ओह्ह्ह्ह
मैं घर की और भागा........
अब पांवो मैं वो कील न चुभ रही थी ....
मैं घर पहुंचा .....
न पापा थे न स्कूटर ..............
ओह्ह्ह नही
मैं समझ गया कहाँ गए ....
मैं दौड़ा .....
और
एजेंसी पर पहुंचा......
# पापा वहीँ थे ...............
मैंने उनको गले से लगा लिया ...
और आंसुओ से
उनका कन्धा भिगो दिया 
.....नहीं...पापा नहीं........
मुझे नहीं चाहिए मोटर साइकिल.........
बस आप नए जुते ले लो और
मुझे अब बड़ा आदमी बनना है
वो भी आपके तरीके से ...
जब लड़के ने सोचा कि मां-बाप को छोड़ दूं..... Myjokesadda जब लड़के ने सोचा कि मां-बाप को छोड़ दूं..... Myjokesadda Reviewed by Shyam Dubey on April 04, 2020 Rating: 5

दुखियारी बूढ़ी मां की कहानी जो आपको रुला देगी Myjokesadda

April 04, 2020
इस कहानी को पढकर कई रो देंगे!!||
75 साल की उस बुढ़िया माँ का वजन लगभग 40 किलो होगा !!
आज जब तबियत बिगड़ने पर वो डॉक्टरको दिखाने गयी !!
डॉक्टर ने कहा ' माताजी आप हेल्थ काख्याल रखिये !! आप का वजन जरूरत से ज्यादा कम है !! आप खाने में जूस, सलाद , दूध , फल , घी , मेवा और हेल्थी फ़ूड लिजियें !! नहीं तो आपकी सेहत दिनों दिन गिरती जायेगी और हालत नाजुक हो जायेंगे!! '





उसने भारी मन से डॉक्टर की बात को सुना और बाहर निकल कर सोचने लगी, इतनी महंगाई में ये सब कहाँ से आएगा......???
और पिछले पचास सालों में, फ्रूट, घी, मेवा घर में लाया कौन है....???
बहुत ही मामूली पेंसन से जो थोडा बहुत पैसा मिलता है उससे घर के जरुरी सामान तो पति ले आतें है, लेकिन फल, जूस, हरी सब्जी, ये सब पति ने कभी ला कर नहीं दिया,....और खुद भी कभी ये सब खरीदने की हिम्मत नहीं कर सकी....क्यूंकि जब भी मन करता कुछ खाने का, खाली पर्स हमेशा मुंह चिढाने लगता....
नागपुर (विदर्भ) जैसे शहर में ... मामूली सी नौकरी में और जिंदगी की गहमागहमी में सारी जमा पूंजी, पति का PF , घर की सारी अमानत , संपदा, गहने जेवर सब एक बेटे और दो बेटियों की परवरिश , पढाई लिखाई शादी में सब कुछ खत्म हो गया...
दूर दिल्ली में रह रहा एक बहुत बड़ी कंपनी में मैनेजर और मोटी तनख्वाह उठा रहा बेटा भी तो खर्चे के नाम पर सिर्फ पांच सौ रुपये देता है...वो भी महीने के..... बेटियों से अपने दुःख माँ ने सदा छुपाये है...उन्हें कभी अपने गमो में शामिल नहीं किया...आखिर ससुराल वाले क्या सोचेंगे.....???
अब बेटे के भेजे इन पांच सौं रुपये में बूढ़े माँ बाप तन ढके या मन की करें ?????
उसने सोचा चलो एक बार बेटे को डॉक्टर की रिपोर्ट बता दी जाए..
उसने बेटे को फ़ोन किया और कहा - बेटा डॉक्टर ने बताया है की विटामिन, खून की की कमी , कमजोरी से चक्कर आये थे....इसी लिए खाने में सलाद, जूस, फ्रूट, दूध , फल , घी , मेवालेना शुरू करो !!
बेटा - "माँ आप को जो खाना है खाओ , डॉक्टर की बात ना मानों.... !!"
माँ ने कहा – बेटा, थोड़े पैसे अगर भेज देता तो ठीक रहता..... !!
बेटा - " माँ इस माह मेरा बहुत खर्चा हो रहा है, कल ही तेरी पोती को मैंने फिटनेस जिम जोईन कराया है, तुझे तो पता ही है, वो कितनी मोटी हो रही है, इसी लिए जिम जोईन कराया है.......उसके महीने के सात हजार रुपये लगेंगे..............जिसमे उसका वजन, चार किलो हर माह कम कराया जाएगा.....और कम से कम पांच माह तो उसे भेजना ही होगा.......पैंतीस हजार का ये खर्चा बैठे बिठाये आ गया....अब जरुरी भी तो है ये खर्चा...!!
आखिर दो तीन साल में इसकी शादी करनी है और आज कल मोटी लड़कियां, पसंद कोई करता नहीं.....!! "


माँ ने कहा - " हाँ बेटा ये तो जरुरी था.....कोई बात नहीं वैसे भी डॉक्टर लोग तो ऐसे ही कुछ भी कहतें रहते है.....चक्कर तो गर्मी की वजह से आ गयें होंगे, वरना इतने सालों में तो कभी ऐसा नहीं हुआ.....खाना तो हमेशा से यही खा रही हूँ मैं...!!!"
बेटा - "हाँ माँ.....अच्छा माँ अभी मैं फोन रखता हूँ ....बेटी के लिए डाइट चार्ट ले जाना है और कुछ जूस,फ्रूट और डायट फ़ूड भी ....आप अपना ख्याल रखना !!"
फोन कट गया....
माँ ने एक ग्लास पानी पिया...
और साडी पर फोल लगाने मे लग गयी....
एक साड़ी में फोल लगाने के माँ को पन्द्रह रुपये मिलेंगे....इन रुपयोंसे माँ आज गणेश पूजा के लिएबाजार से लड्डू खरीदेंगी....आज गणेश चतुर्थी जो है !!
माँ के पास आज साड़ी में फोल लगाने के तीन आर्डर है...माँ ने मन ही मन श्री गणेश का शुक्रिया अदा किया क्यूंकि आज वो आधा किलो लड्डू खरीद लेंगी गणेश जी की पूजा के लिए इनपैसो से ...और मन ही मन अपने बेटे की सुखी और समृद्ध जिंदगी के लिए प्रभु श्री गणेश से प्रार्थना भी की!!
तेरे जैसा कोई नही माँ !!




अपनी मां को कभी सताना मत आप चाहे कितने भी बड़े व्यक्ति क्यों ना बन जाए लेकिन मां की जरूरतों को पूरा करना आपका पहला कर्तव्य होना चाहिए और अपनी मां की हमेशा सेवा करते रहिए 

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दुखियारी बूढ़ी मां की कहानी जो आपको रुला देगी Myjokesadda  दुखियारी बूढ़ी मां की कहानी जो आपको रुला देगी Myjokesadda Reviewed by Shyam Dubey on April 04, 2020 Rating: 5

लड़का और कीमती पत्थर Moral story : Myjokesadda

March 26, 2020
एक युवक कविताएँ लिखता था, लेकिन उसके इस गुण का कोई मूल्य नहीं समझता था। घरवाले भी उसे ताना मारते रहते कि तुम किसी काम के नहीं, बस कागज काले करते रहते हो। उसके अन्दर हीन-भावना घर कर गयी| उसने एक जौहरी मित्र को अपनी यह व्यथा बतायी| जौहरी ने उसे एक पत्थर देते हुए कहा – जरा मेरा एक काम कर दो। यह एक कीमती पत्थर है। कई तरह के लोगो से इसकी कीमत का पता लगाओ, बस इसे बेचना मत। युवक पत्थर लेकर चला गया| वह पहले एक कबाड़ी वाले के पास गया। कबाड़ी वाला बोला – पांच रुपये में मुझे ये पत्थर दे दो।


फिर वह सब्जी वाले के पास गया। उसने कहा तुम एक किलो आलू के बदले यह पत्थर दे दो, इसे मै बाट की तरह इस्तेमाल कर लूँगा। युवक मूर्तिकार के पास गया| मूर्तिकार ने कहा – इस पत्थर से मै मूर्ति बना सकता हूँ, तुम यह मुझे एक हजार में दे दो। आख़िरकार युवक वह पत्थर लेकर रत्नों के विशेषज्ञ के पास गया। उसने पत्थर को परखकर बताया – यह पत्थर बेशकीमती हीरा है जिसे तराशा नहीं गया। करोड़ो रुपये भी इसके लिए कम होंगे। युवक जब तक अपने जौहरी मित्र के पास आया, तब तक उसके अन्दर से हीन भावना गायब हो चुकी थी। और उसे एक सन्देश मिल चुका था।
मोरल : हमारा जीवन बेशकीमती है, बस उसे विशेषज्ञता के साथ परखकर उचित जगह पर उपयोग करने की आवश्यकता है|
लड़का और कीमती पत्थर Moral story : Myjokesadda  लड़का और कीमती पत्थर Moral story : Myjokesadda Reviewed by Shyam Dubey on March 26, 2020 Rating: 5

Clever woman story चालाक महिला की कहानी : Myjokesaada

March 26, 2020
एक दिन एक औरत गोल्फ खेल रही थी| जब उसने बॉल को हिट किया तो वह जंगल में चली गई|

जब वह बॉल को खोजने गई तो उसे एक मेंढक मिला जो जाल में फंसा हुआ था| मेंढक ने उससे कहा - "अगर तुम मुझे इससे आजाद कर दोगी तो मैं तुम्हें तीन वरदान दूँगा|

"महिला ने उसे आजाद कर दिया

मेंढक ने कहा - "धन्यवाद, लेकिन तीन वरदानों में मेरी एक शर्त है जो भी तुम माँगोगी तुम्हारे पति को उससे दस गुना मिलेगा|



महिला ने कहा - "ठीक है" उसने पहला वरदान मांगा कि मैं संसार की सबसे खुबसूरत स्त्री बनना चाहती हूँ|

मेंढक ने उसे चेताया - "क्या तुम्हें पता है कि ये वरदान तुम्हारे पति को संसार का सबसे सुंदर व्यक्ति बना देगा|

महिला बोली - "दैट्स ओके, क्योंकि मैं संसार की सबसे खुबसूरत स्त्री बन जाऊँगी और वो मुझे ही देखेगा!"

मेंढक ने कहा - "तथास्तु"

अपने दूसरे वरदान में उसने कहा कि मैं संसार की सबसे धनी महिला बनना चाहती हूँ|

मेंढक ने कहा - "यह तुम्हारे पति को विश्व का सबसे धनी पुरुष बना देगा और वो तुमसे दस गुना पैसे वाला होगा |"

महिला ने कहा - "कोई बात नहीं| मेरा सब कुछ उसका है और उसका सब कुछ मेरा !"

मेंढक ने कहा - "तथास्तु"

जब मेंढक ने अंतिम वरदान के लिये कहा तो उसने अपने लिए एक "हल्का सा हर्ट अटैक मांगा|"

मोरल ऑफ स्टोरीः महिलाएं बुद्धिमान होती हैं, उनसे बच के रहें !

महिला पाठकों से निवेदन है आगे ना पढें, आपके लिये जोक यहीं खत्म हो गया है | यहीं रुक जाएँ और अच्छा महसूस करें !!

पुरुष पाठकः कृपया आगे पढें|

उसके पति को उससे "10 गुना हल्का हार्ट अटैक" आया|

मोरल ऑफ द स्टोरी : महिलाएं सोचती हैं वे वास्तव में बुद्धिमान हैं|

उन्हें ऐसा सोचने दो, क्या फर्क पडता है|


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Clever woman story चालाक महिला की कहानी : Myjokesaada Clever woman story  चालाक महिला की कहानी : Myjokesaada Reviewed by Shyam Dubey on March 26, 2020 Rating: 5

Ullu ka rajyabhishek उल्लू का राज्य अभिषेक Hindi Story

March 22, 2020
कौवों और उल्लुओं की शत्रुता बड़ी पुरानी है। मगर कितनी पुरानी और क्यों है इसका विचार कम ही लोगों ने किया अथवा करना चाहा।



बौद्ध परम्परा में उपर्युक्त दो शत्रुओं के वैमनस्य की एक कथा प्रचलित है। यहाँ वही कथा एक बार फिर सुनाई जा रही है।

सम्बोधि प्राप्त करने के बाद बुद्ध जब श्रावस्ती स्थित जेतवन में विहार कर रहे थे तो उनके अनुयायियों ने उन्हें उल्लुओं द्वारा अनेक कौवों की संहार की सूचना दी। बुद्ध ने तब यह कथा सुनायी थी।
सृष्टि के प्रथम निर्माण चक्र के तुरंत बाद मनुष्यों ने एक सर्वगुण-सम्पन्न पुरुष को अपना अधिपति बनाया; जानवरों ने सिंह को ; तथा मछलियों ने आनन्द नाम के एक विशाल मत्स्य को। इससे प्रेरित हो कर पंछियों ने भी एक सभा की और उल्लू को भारी मत से राजा बनाने का प्रस्ताव रखा। राज्याभिषेक के ठीक पूर्व पंछियों ने दो बार घोषणा भी की कि उल्लू उनका राजा है किन्तु अभिषेक के ठीक पूर्व जब वे तीसरी बार घोषणा करने जा रहे थे तो कौवे ने काँव-काँव कर उनकी घोषणा का विरोध किया और कहा क्यों ऐसे पक्षी को राजा बनाया जा रहा था जो देखने से क्रोधी प्रकृति का है और जिसकी एक वक्र दृष्टि से ही लोग गर्म हांडी में रखे तिल की तरह फूटने लगते हैं। कौवे के इस विरोध को उल्लू सहन न कर सका और उसी समय वह उसे मारने के लिए झपटा और उसके पीछे-पीछे भागने लगा। तब पंछियों ने भी सोचा की उल्लू राजा बनने के योग्य नहीं था क्योंकि वह अपने क्रोध को नियंत्रित नहीं कर सकता था। अत: उन्होंने हंस को अपना राजा बनाया।

किन्तु उल्लू और कौवों की शत्रुता तभी से आज तक चलती आ रही है।

Ullu ka rajyabhishek उल्लू का राज्य अभिषेक Hindi Story Ullu ka rajyabhishek  उल्लू का  राज्य अभिषेक Hindi Story Reviewed by Shyam Dubey on March 22, 2020 Rating: 5

वास्तु टिप्स for life full of happiness, money and good health 😍 myjokesadda

March 15, 2020
Ye kuch vastu tips hain jo sabhi vyakti agar dhyan de to unke ghar me khushi hi khushi hogi. Ummid karta hu ye bat apko acchi lgegi.

 Inhe apne parivar dosto ke sath share avashya kare. 
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वास्तु टिप्स for life full of happiness, money and good health 😍 myjokesadda  वास्तु टिप्स for life full of happiness, money and good health 😍 myjokesadda Reviewed by Shyam Dubey on March 15, 2020 Rating: 5

अमीर और गरीब आदमी की कहानी.... Hindi Story Myjokesadda

March 03, 2020


एक बार एक अमीर आदमी अपने सबसे छोटे बेटे को गांव दिखाने ले गया, ताकि वह जान सके कि गांव में गरीब लोग कैसे रहते हैं। पिता-पुत्र दोनों ने शहर से बाहर और गांव के नजदीक अपने फार्म हाऊस में कुछ समय बिताया। फार्म हाऊस के सामने ही एक गरीब परिवार रहता था। फार्म हाऊस में कुछ समय बिताने के बाद दोनो पिता-पुत्र वापस शहर लौटने लगे। लौटते समय पिता ने पुत्र से पूछा कि ' बेटा यात्रा कैसी रही? '
बेटे ने कहा कि ' बहुत अच्छी पापा। ' 'तो तुमने देखा कि गरीब लोग कैसे रहते हैं? ' बेटे ने इसका उत्तर हां में दिया। उसके बाद पिता ने बेटे से वापस प्रश्न किया कि ' अच्छा बताओ इस यात्रा से तुमने क्या सीखा? ' पिता यह जानना चाह रहा था कि बेटा कितना समझदार और ग्रहणशील है।
बेटे ने जवाब दिया कि ' मैंने देखा कि हमारे पास तो एक ही कुत्ता है, जबकि उनके पास चार कुत्ते हैं। हमारे घर का स्वीमिंग पुल काफी छोटा है, जबकि वह बड़ी नहर में नहाते हैं। हमारे बगीचे में महंगे लालटेन लगे हैं, जबकि वह तारों भरे आकाश को देख सकते हैं। हमारे घर से दूर का कुछ भी दिखाई नहीं देता है, जबकि वह दूर के पहाड़ों को आसानी से देख सकते हैं।
हमारे यहां नौकर हमारा ख्याल रखते हैं, जबकि उनके यहां पर सभी एक-दूसरे का ख्याल रखते हैं। हम अपने खाने-पीने का सामान खरीदते हैं, लेकिन वह अपने खाने का सामान खुद उगाते हैं। हमारे घर की सुरक्षा के लिए चारदीवारी और चौकीदार हैं, जबकि उनके घर की रखवाली उनके दोस्त करते हैं। '
यह सुनकर लड़के का पिता निरुत्तर हो गया । अपने बेटे के इस उत्तर के साथ उसको पिछली बात भी ध्यान आ गई, जब वह अपने से कम संपन्न जागीरदार के घर गया था और उसके वैभव को देखकर कहा था कि यह लोग तो अपने से कम अमीर हैं। आज पिता को इस बात का बोध हुआ है कि अमीरी-गरीबी साधनों पर नहीं विचारों और भावनाओं में रहती है।
अमीर और गरीब आदमी की कहानी.... Hindi Story Myjokesadda अमीर और गरीब आदमी की कहानी.... Hindi Story Myjokesadda Reviewed by Shyam Dubey on March 03, 2020 Rating: 5

दर्द भरी कहानी एक लड़की की।..... Sad Story

February 13, 2020
एक लड़की थी। बहुत ही खूबसूरत। जितनी वह सुंदर थी, उतनी ही ईमानदार। न किसी से झूठ बोलना, न किसी से फालतू की बातें करना।बसअपने कामसे काम रखना।”उसी क्लास में एक लड़का था। वह मन ही मन उससे बहुत प्यार करता था। लड़का अक्सर उसके छोटे-मोटे काम कर दिया करता था।बदले में जब लड़की मुस्करा कर थैंक्यू कहती थी, तो लड़के कीखुशी की सीमा नहीं रहती थी।एक बार की बात है। दोनों लोग साथ-साथ घर जारहे थे। तभी जोरदार बारिश होने लगी। दोनों को एकपेड़ के नीचे रुकना पडा पेड़ बहुत छोटा था,बारीस की बुन्दे छन-छनकर उससे नीचे आ रही थीं। ऐसे में बारिश से बचने के लिए दोनों एक दूसरे के बेहद करीबआ गये।लड़की को इतने करीब पाकर लड़का अपने जज्बातों पर काबू न रख सका। उसकेलड़की कोप्रजोज कर दिया।



लड़की भी मन ही मनउसको चाहती थी।इसलिए वह भी राजी हो गयी। औरइस तरहदोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा। एक बार की बात है लड़की उसी पेड़ ने नीचे लड़केका इंतजार कर रही थी। लड़का बहुत देर सेआया।उसे देखकर लड़की नाराजगी से बोली,’तुम इतनीदेर से क्यों आए? मेरी तो जान ही निकलगयी थी।’यह सुनकर लडका बोला, ‘जानेमन, मैं तुमसेदूरकहां गया था, मैं तो तुम्हारे दिल में हीरहता हूं।तुम्हें यकीन न हो तो अपने दिन से पूछ लो।’लड़केकी इस प्यारी सी बात को सुनकर लङकी अपना सारा गुस्सा भुल गयी और वह दौड़ कर लड़के सेलिपट गयी।एक दिन दोनों लोग उसी पेड़ के नीचे बैठेबातें कररहे थें। लड़की पेड़ के सहारे बैठी थी और लड़का उसकी गोद में सर रख कर लेटा हुआ था।तभी लड़की बोली, ”जानू, अब तुम्हारी जुदाई मुझसे बर्दाश्त नहीं होती।
तुम्हारे बिना एकपल भी मुझे 100 साल के बराबर लगता है। तुम मुझसे शादी कर लो, नहीं तो मैं मर जाऊंगी।”लडके ने झट से लड़की के मुंह पर अपना हाथ रख दिया और बोला, ”मेरी जान, ऐसी बातमत कियाकरो, अगर तुम्हें कुछ हो गया, तो मैं कैसे  जिंदा रहूंगा।” फिर वह कुछ सोचता हुआ बोला,”तुमचिंता मत करो, मैं जल्द ही अपने घर वालों से बातकरूंगा।”धीरे-धीरे काफी समय बीत गया। एक दिन की बातहै। दोनों लोग उसी पेड़ के नीचे बैठे हुए थे।उससमय लड़के का चेहरा उतरा हुआ था। लड़की के पूछने पर वह रूआंसा होकर बोला, ”जान,मैंने अपनेघर वालों को बहुत समझाया, पर वे हमारी शादी केलिए तैयार नहीं हैं।
उन्होंने मेरी शादी कहीं और पक्की कर दी है”यह सुन कर लड़की का कलेजा फट पड़ा।उसका मन हुआ कि वह जोर-जोर से रोए” लेकिन उसने अपने जज्बात पर काबू पा लिये औरबोली, ”मैंने तुमसे सच्चा प्यार किया है, मैं तुम्हें कभी भुला नहीं सकती।””प्लीज मुझे माफ कर देना..!” लड़का धीरेसे बाेला,वैसे अगर तुम चाहो, तोअब से हम एक अच्छे दोस्त रह सकते हैं।”लडकी यह सुन कर ज़ो-ज़ोर से रोने लगी”लड़के ने उसे समझाया और फिर दोनों लोग रोते हुए अपने-अपने घर चले गये।देखते ही देखते लड़के की शादी का दिन आगया।लड़के को यकीन था कि उसकी शादी में उसकी दोस्त जरूर आएगी। पर ऐसा नहीं हुआ।
हां,लड़की का भेजा हुआ एक गिफ्ट पैक उसे ज़रूरमिला।लड़के ने कांपते हांथों से उसे खोला। उसे देखते हीवह बेहोश हो गया।गिफ्ट पैक में और कुछ नहीं खून से लथपथलड़कीका दिल रखा हुआ था। और साथ ही में थी एकचिट्ठी, जिसमें लिखा हुआ था- अरेपागल, अपनादिल तो लेते जा वरना अपनी पत्नी को क्या देगा दोस्तो हमारी जिन्दगी का सबसे खुबसुरत एहसास प्यार ही है जो हमको आपको हर किसी को होता है पर क्या हम उसकोअपना पाते हैं कभी हम गलत तो कभी साथी गलत दोनो सही तो घरवाले गलत पर क्या प्यार गलत होता है नही”तो”मित्रों प्यार करो लेकिन खिलवाङ मत करो |

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दर्द भरी कहानी एक लड़की की।..... Sad Story दर्द भरी कहानी एक लड़की की।..... Sad Story Reviewed by Shyam Dubey on February 13, 2020 Rating: 5
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