बनारस के घाट की प्रेम कहानी ❤❤ Love Story
Shyam Dubey
January 01, 2020
मेरा नाम करण केशव है और मैं बनारस में रहता हूँ. ये बात तब की है जब मैं बनारस के दशास्वमेध घाट पर आरती देखने आया था. मैं अक्सर इस घाट पर आता हूँ. रात के वक़्त ये घाट दीयों की रौशनी से जगमगा उठता है और ये देखने विदेश से कई टूरिस्ट यहाँ आते है. आरती के वक़्त गंगा मईया के दर्शन करने में जो आनंद आता है वो और किसी चीज़ में नहीं.
रात के 8 बजे का वक़्त था, अभी आरती ख़त्म ही हुई थी. जैसे ही मैं अपने घर वापिस जाने के लिए पीछे मुड़ा तो सामने से एक लाल सूट पहने हुई लड़की घाट की तरफ आ रही थी. उसके चेहरे पर उदासी थी, शायद वो आरती देखने चाहती थी लेकिन उसे देरी हो गयी थी, ऐसा मुझे लग रहा था.
वो किसी दुसरे शहर की लग रही थी और शायद अपने परिवार के साथ बनारस घूमने आयी थी. मैंने इतनी खूबसूरत लड़की कभी यहाँ नहीं देखी थी. मैं तो जैसे एक टूक उसे देखता ही रह गया था.
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मेरा तो जैसे पूरा ध्यान ही उसकी तरह हो गया था. तभी मेरे कंधे पर किसी ने अपना हाथ रखा तो देखा मेरा दोस्त था. उसने घर चलने को कहा और फिर हम वहां से चले गए.
अगले दिन मेरे दोस्त राजेश की शादी थी इसलिए मैं उसके घर पर कुछ काम करवा रहा था. वहां वही लड़की भी आयी हुई थी जो मुझे रात को बनारस के घाट पर मिल थी. मुझे राजेश ने बताया कि ये उसकी मामी की लड़की है. उसका नाम रूपाली था. राजेश के घर में काम करते-करते मेरा ध्यान थोड़ी-थोड़ी देर में उस लड़की की तरफ चले जाता था, पता नहीं ऐसा क्या था उसमे..
शाम के वक्त मैं और राजेश बैठे बाते कर रहे थे तो एकदम से रूपाली एक प्यारी सी साडी डाल कर हमारे सामने आ गयी और उसने कहा “ये साड़ी कैसी लग रही है मुझ पर?”
मेरे मुंह से तुरंत निकल गया “बहुत अच्छी”
रूपाली शर्मा कर कमरे के अंदर चले गयी और मैं भी अपनी मूर्खता पर हैरान हो रहा था और आँखे नीचे किये बैठा रहा.
शाम को जब लेडीज संगीत हो रहा था तो मैं सभी मेहमानो को खाना परोस रहा था और जब मैंने रूपाली को खाना परोसा तो पहली बार हमारी आँखें एक दुसरे से मिली और पहली बार हमारे दिल ने एक दुसरे से बात की.
Cute Love Story – अगले दिन मैं शाम को राजेश के घर गया. मैं राजेश से कुछ बात कर रहा था कि तभी रूपाली वहां आयी और उसने राजेश को कहा “भईया…मुझे घाट पर जाना है, आरती देखनी है”
राजेश ने कहा “रूपाली…देखो घर में कितना काम है, फिर कभी चलेंगे” और इतना बोल कर राजेश वहां से चला गया.
मैं रूपाली की तरफ देख रहा था और मैंने शरमाते हुए थोड़ा हिम्मत करते हुए रूपाली को कहा “मैं घाट पर ही जा रहा हूँ, क्या आप जाएँगी मेरे साथ?”
रूपाली ने हँसते हुए हाँ में अपना सिर हिलाया और मैं यहाँ ख़ुशी से पागल हो रहा था. शायद रूपाली को पता था कि मेरे दिल में क्या चल रहा है.
बनारस की तंग गलियों में से जब मैं अपनी बाइक पर रूपाली को गंगा घाट की तरफ लेकर जा रहा था तो वो feeling मैं बयां नहीं कर सकता.
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जब हम बनारस के घाट पर पहुंचे तो आरती शुरू हो चुकी थी और वहां का नज़ारा देख रूपाली बहुत खुश लग रही थी. वहां पहली बार हमने एक दुसरे का हाथ पकड़ पूरी आरती देखी और वो पल मैं कभी नहीं भूल सकता.
गंगा मईया के दर्शन कर जब हम बाइक पर घर लौट रहे थे तो रूपाली ने पहली बार मेरे कंधे पर हाथ रखा और मेरे कान में कहा “अब मुझे बनारस से प्यार होने लगा है…” दोस्तों, अभी के लिए इतना ही. बस इतना कहना चाहूंगा कि ये लव स्टोरी बनारस के घाट पर शुरू हुई थी और अभी भी हम गंगा मईया के दर्शन करने अक्सर यहाँ आते है. आगे की कहानी फिर कभी बताऊंगा !
Credit: Mohit Goel
Type: Love Story
बनारस के घाट की प्रेम कहानी ❤❤ Love Story
Reviewed by Shyam Dubey
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January 01, 2020
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